बपतिस्मा क्या चित्रित करता है ?
और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।।
6 : 1 सो हम क्या कहें ? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो ? 2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं ? 3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का / में बपतिस्मा लिया, तो उस की मृत्यु का / में बपतिस्मा लिया ? 4 सो उस मृत्यु का / में बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
(नोट :- मूल भाषा ग्रीक / यूनानी में तथा अंग्रेजी एन.के.जे.वी. आदि में --‘का’ के स्थान पर ‘‘में’’ है।)
बपतिस्मा के ऊपर इस छोटी श्रृंखला में आज यह अंतिम संदेश है। मैं जानता हूँ कि कहने के लिए बहुत अधिक शॆष है। मुझे क्षमा करें यदि मैंने आपके कुछ प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ दिया है। किन्तु इन चीजों पर विचार- विमर्श करने के लिए, विभिन्न आयोजनों में हमें और अवसर मिलेंगे।
स्मरण रखिये कि ग्रीष्म के आरम्भ में यहाँ इस श्रंखला को रखने के हमारे मुख्य अभिप्रायों में से एक यह है कि हम विश्वास करते हैं कि नया नियम लोगों को खुले-आम और साहसपूर्वक मसीह के पास आने के लिए बुलाता है। हम, लोगों को जो विश्वासी रहें हैं, देखना चाहते हैं कि सार्वजनिक गवाही के उस बिन्दु तक आयें और आपकी गवाही / आपके साक्ष्य के द्वारा तथा यहाँ पूरे ग्रीष्म के दौरान ‘वचन’ की सेवकाई के द्वारा हम, लोगों को विश्वासी बनते देखना चाहते हैं।
यीशु ने बपतिस्मा के कर्म का आदेश क्यों दिया था ?
कभी-कभी हम अचरज कर सकते हैं कि यीशु ने बपतिस्मा के कर्म का आदेश क्यों दिया ? ये बपतिस्मा जैसी चीज क्यों है? यदि विश्वास करने के द्वारा अनुग्रह से उद्धार है, उस विश्वास को प्रदर्शित करने के लिए एक आवश्यक धर्मविधि या एक प्रतीक क्यों स्थापित किया जाए ? यह एक प्रश्न है जिसका उत्तर बाइबल नहीं देती। किन्तु अनुभव कुछ रुचिकर चीजें सिखाता है।
उदाहरण के लिए, मेरे पहले संदेश के पश्चात्, तीन सप्ताह पूर्व, फिलिपीन्स के लिए एक भूतपूर्व सुसमाचार-प्रचारक, मेरे पास आयी और उस श्रृंखला के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की और फिर कहा, क्यों। उस महिला ने कहा कि फिलिप्पीन्स में, जहाँ नामधारक और सर्वधर्म-समभाव कैथोलिकवाद का अच्छा अंश है, मन-परिवर्तन करने वाले विश्वासियों को बरदाश्त किया गया और परिवार के द्वारा कदाचित् ही ध्यान दिया गया - जब तक कि वे बपतिस्मा लेने के लिए नहीं आये। तब शत्रुता की बाइबल- शास्त्रीय भविष्यवाणी और अलगाव घटित हुआ। नये-प्राप्त विश्वास की इस खुली धर्मविधि के बारे में कुछ है जो ये स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति कहाँ खड़ा है और वह क्या कर रहा है। दूसरे शब्दों में, आज अनेकों संस्कृतियों में, स्थिति बहुत कुछ वैसी ही है जैसी स्थिति यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के साथ थी। वह पश्चाताप् के एक बपतिस्मा का प्रचार करता हुआ आया और वे जिन्होंने सोचा कि वो सब जो उन्हें चाहिए था वो उन के पास पहले से ही था, वे बहुधा क्रोधित हुए।
उसी सप्ताह, इस मिशन की पत्रिका (द डॉन रिपोर्ट, मई 30) आयी। पृष्ठ 7 पर, एक नदी में एक मिशनरी व्यवस्था में बपतिस्मा देते हुए, एक मनुष्य की तस्वीर है, तस्वीर के नीचे इस शीर्षक के साथ: ‘‘बाह्य उपासना सभाएं और नदी का बपतिस्मा, कभी-कभी विकास के सर्वोत्तम वाहन होते हैं।’’ कारणों के उस सम्पूर्ण समूह को हम नहीं जानते जो, मसीह में विश्वास को प्रगट करने के एक आदर्शक तरीके के रूप में और ‘उसके’ व ‘उसके’ लोगों के साथ एकीकरण के रूप में, बपतिस्मा का परामर्श देने के लिए परमेश्वर के पास ‘उसकी’ बुद्धि में थे। हम विविध कारणों के बारे में सोच सकते हैं कि क्यों ये एक अच्छी चीज है, किन्तु हम सम्भवतः उन सभी अच्छे प्रभावों की सोच के निकट भी नहीं आ सकते जो परमेश्वर का ध्येय है। अन्त में, ये हमारे पिता में भरोसे / विश्वास का एक कर्म है कि ‘वह’ जानता है कि ‘वह’ क्या कर रहा है और हम ‘उसकी’ आज्ञा के अनुसार कार्य करके प्रसन्न हैं।
डुबकी या छिड़काव ?
लेकिन आज मैं रोमियों 5: 20 – 6: 4 से इस कर्म का अर्थ थोड़ा और दिखाने का प्रयास करूँगा। ये उस प्रश्न को भी सम्बोधित करेगा जो आप में से कुछ के पास बपतिस्मा के तरीके के सम्बन्ध में है - अर्थात्, छिड़काव के बनिस्बत डुबकी। वास्तव में, छिड़काव के विरोध में डुबकी के तरीके के बारे में एक सामान्य शब्द के साथ मुझे आरम्भ करने दीजिये। कम से कम तीन प्रकार के प्रमाण हैं यह विश्वास करने के लिए कि बपतिस्मा का नया नियम का अर्थ और प्रथा, डुबकी के द्वारा था । 1) यूनानी / ग्रीक में शब्द बेप्टिज़ो का मूलभूत अर्थ है ‘‘डुबकी लगाना’’ या ‘‘डुबाना,’’ छिड़कना नहीं। 2) नया नियम में बपतिस्मों के वर्णन सुझाव देते हैं कि लोग जल में उतरे कि डुबाये जाएं बनिस्बत इसके कि एक पात्र में जल उनके पास लाया गया कि उन पर उण्डे़ला या छिड़का जाए (मत्ती 3 : 6, ‘‘यरदन नदी में;’’ 3 : 16 ‘‘यीशु . . . पानी में से ऊपर आया;’’ यूहन्ना 3 : 23, ‘‘वहां बहुत जल था;’’ प्रेरित 8 : 38, ‘‘जल में उतर पड़े’’) । 3) मसीह के साथ गाड़े जाने के प्रतीकात्मक रूप में, डुबकी मेल खाती है (रोमियों 6 : 1-4; कुलुस्सियों 2 : 12) ।
हम इस पर ठहरे नहीं रहेंगे, लेकिन मुझे उस बारे में एक शब्द कहने दीजिये कि उस तथ्य की ओर हम कैसे देखेंगे कि हमारा चर्च और हमारा धर्म-सम्प्रदाय, डुबकी के द्वारा बपतिस्मा को स्थानीय प्रसंविदा समुदाय में सदस्यता का (किन्तु मसीह की सार्वभौमिक देह में नहीं ) एक निर्धारित हिस्सा बनाते हैं। हम ये विश्वास नहीं करते कि उद्धार के लिए, बपतिस्मा का तरीका, एक अनिवार्य क्रिया है। अतः हम एक व्यक्ति की मसीही स्थिति पर मात्र उनके बपतिस्मा के तरीके के आधार पर प्रश्न नहीं उठाते। तब कोई पूछ सकता है: फिर क्या आप को उन लोगों को सदस्यता में प्रवेश नहीं देना चाहिए जो सच में नया जन्म पाये हैं किन्तु जिन पर विश्वासी के रूप में छिड़काव किया गया ? इसका स्पष्टीकरण देने के दो तरीके हैं कि हम ऐसा क्यों नहीं करते।
1) क्या बपतिस्मा की एक द्वारा मनुष्य बनाई विधि को ही हमें ‘‘बपतिस्मा’’ कहना चाहिए, यदि हम उन अच्छे प्रमाणों पर विश्वास करते हैं कि यह उस रूप से हट जाता है जिसका प्रारम्भ मसीह ने किया ? क्या यह उस महत्व को घटाने के जोखि़म को और नहीं बढ़ायेगा, जो मसीह ने स्वयँ इस धर्मविधि में प्रतिष्ठित किया था ?
2) स्थानीय मसीही समुदाय, जो कलीसियाएँ कहलाती हैं, साझा की गई बाइबल-शास्त्रीय दृढ़-धारणाओं के चारों ओर निर्मित हैं, जिनमें से कुछ उद्धार के लिए अत्यावश्यक हैं और जिनमें से कुछ नहीं। हम केवल धारणाओं के संकीर्णतम् सम्भव समूह के द्वारा जो किसी के पास उद्धार पाने के लिए होना चाहिए, अपने प्रसंविदा जीवन को एक-साथ होना परिभाषित नहीं करते। बल्कि हम विश्वास करते हैं कि सत्य का महत्व और धर्म-शास्त्र का अधिकार, अधिक अच्छी तरह से सम्मानित होते हैं जब मसीही विश्वास के समुदाय, स्वयँ को बाइबल-शास्त्रीय दृढ़-धारणाओं के समूह के द्वारा परिभाषित करते और उस पर स्थिर रहते हैं, बनिस्बत इसके कि हर बार जब उनकी धारणाओं में से एक विवादित हो, सदस्यता के अर्थ को पुनः परिभाषित करें। जब विभिन्न मसीही समुदाय, दूसरे विश्वासियों के लिए प्रेम और भाईचारे की प्रीति व्यक्त करते हुए, ये कर सकते हैं, सत्य और प्रेम दोनों की अच्छी तरह सेवा होती है। उदाहरण के लिए, ये तथ्य, कि बहुत से वे वक्ता जिन्हें हम ‘बैतलहम कॉन्फरेन्स फॉर पास्टर्स ’ में आमंत्रित करते हैं, इस चर्च के सदस्य नहीं हो सकते थे, कहता है कि हम प्रेम और एकता को गम्भीरता से लेते हैं और हम सत्य को गम्भीरता से लेते हैं।
विभिन्न समुदायों को परिभाषित करने में, कौन से गैर-मौलिक चीजों को पीढ़ी से पीढ़ी तक सम्मिलित किया जाएगा, ये मुख्यतः विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करता है और भिन्नता रखने वाले मूल्यांकनों पर, कि किन सच्चाईयों पर बल दिये जाने की आवश्यकता है।
बपतिस्मा क्या चित्रित करता है
उस पृष्ठ भूमि के साथ, आइये हम रोमियों 5 : 20 – 6 : 4 को देखें, यह देखने के लिए कि बपतिस्मा क्या चित्रित करता है,केवल परोक्ष रूप में, बपतिस्मा के तरीके के लिए इसके क्या निहित-अर्थ हैं। यहाँ मेरा लक्ष्य है कि उस महिमित वास्तविकता को देखने में आपकी सहायता करूं जिसकी ओर बपतिस्मा संकेत करता है ताकि, मुख्यतः , वो वास्तविकता स्वयँ आपको जकड़ ले, और दूसरी बात, इस क्रिया/कर्म की सुन्दरता और महत्व आपके दिमाग और हृदयों में उभरे। रोमियों 5 : 20 – 6 : 4:
और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।।
6: 1 सो हम क्या कहें ? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो ? 2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं ? 3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का/में बपतिस्मा लिया, तो उस की मृत्यु का/में बपतिस्मा लिया ? 4 सो उस मृत्यु का/में बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
(नोट :- मूल भाषा ग्रीक/यूनानी में तथा अंग्रेजी एन.के.जे.वी. आदि में --‘का’ के स्थान पर ‘‘में’’ है।)
इस मूल-पाठ के बारे में एक बड़ी बात ये है कि ये दिखाता है कि, यदि आप समझते हैं कि बपतिस्मा क्या चित्रित करता है, तो आप समझते हैं कि आप के साथ वास्तव में क्या हुआ जब आप एक मसीही बने। हम में से कई लोग, विश्वास में आये और एक ऐसे बिन्दु पर बपतिस्मा दिया गया जब हम बहुत अधिक नहीं जानते थे। ये अच्छा है। ये आशा की जाती है कि मसीही चाल में बपतिस्मा पहले ही हो जाता है जब आप बहुत अधिक नहीं जानते हैं। अतः ये भी आशा की जाती है कि आप अधिक और अधिक सीखेंगे कि इसका क्या अर्थ है।
मत सोचिये, ‘‘ओह, मुझे वापस जाना चाहिए और पुनः बपतिस्मा लेना चाहिए। मैं नहीं जानता था कि इसका ये सब अर्थ था।’’ नहीं। नहीं। उसका ये अर्थ होगा कि प्रत्येक नये पाठ्यक्रम के साथ जो आप बाइबल-शास्त्रीय धर्मविज्ञान में लेते हैं, आपको पुनः बपतिस्मा दिया जाएगा। इसकी जगह, इस बात में आनन्द कीजिये कि यीशु के प्रति आज्ञाकारिता में आपने अपना सरल विश्वास व्यक्त किया और अब अधिक और अधिक सीख रहे हैं कि इस सब का क्या अर्थ था। वही पौलुस यहाँ कर रहा है : वो ये आशा कर रहा है कि उसके पाठक ये जानते हैं कि उनके बपतिस्मा का क्या अर्थ था, लेकिन वह आगे बढ़ता है और फिर भी उन्हें सिखाता है, हो सकता है वे न जानते हों या भूल गये हों। इन आयतों से सीखिये कि एक समय आपने परमेश्वर के समक्ष क्या चित्रित किया, और एक मसीही बनने में आपको वास्तव में क्या हुआ।
मैं केवल दो चीजों को देखने जा रहा हूँ जो, इन आयतों के अनुसार, बपतिस्मा चित्रित करता है।
1) बपतिस्मा, मसीह की मृत्यु में हमारी मृत्यु को चित्रित करता है।
आयतें 3-4अ : ‘‘क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का/में बपतिस्मा लिया, तो उस की मृत्यु का/में बपतिस्मा लिया ? सो उस मृत्यु का/में बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए।’’ यहाँ पर हम मसीहियों के बारे में एक महान् सत्य है। हम मर गये हैं। जब मसीह मरा ‘वह’ हमारी मृत्यु मरा। इसका अर्थ है कम से कम दो चीजें। 1) एक यह है कि हम वही लोग नहीं हैं जो किसी समय हम थे; हमारा पुराना मनुष्यत्व मर गया है। हम वही नहीं हैं। 2) दूसरा यह है कि भविष्य की हमारी शारीरिक मृत्यु का हमारे लिए वही अर्थ नहीं होगा, जो इसका होता यदि मसीह हमारी मृत्यु न मरा होता। चूंकि हम मसीह के साथ मर गये हैं, और हमारे लिए ‘वह’ हमारी मृत्यु मरा, हमारी मौत वो भयंकर चीज नहीं होगी जो वो रही होती। ‘‘ हे मृत्यु तेरी जय कहां रही ? हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा ?’’ (1 कुरिन्थियों 15: 55-56)। उत्तर ये है कि मृत्यु का डैन्क और जय, मसीह के द्वारा निगल लिये गए हैं। विगत सप्ताह से याद कीजिये: ‘ही ड्रैन्क द टैंक’ (‘उसने’ तालाब/कुण्ड/टंकी पी लिया)। पद 3 व 4 में शब्द ‘‘में’’ के दोहराने पर ध्यान दीजिये। ‘‘मसीह यीशु में’’ बपतिस्मा लिया, और ‘‘उस की मृत्यु में’’ बपतिस्मा लिया (पद 3), और ‘‘मृत्यु में’’ बपतिस्मा लिया (पद 4अ)। जो ये कहता है वो यह कि बपतिस्मा, मसीह के साथ हमारी संयुक्ति को चित्रित करता है, अर्थात्, हम आत्मिक रूप से ‘उस’ से जुड़ गए हैं ताकि ‘उसकी’ मृत्यु हमारी मृत्यु बन जाती है और ‘उसका’ जीवन हमारा जीवन बनेगा। हम इसका अनुभव कैसे करते हैं ? आप कैसे जानें यदि ये आप के साथ हुआ है ? उत्तर ये है कि ये विश्वास के द्वारा अनुभव किया जाता है। आप इसे समानान्तर आयतों में सुन सकते हैं। गलतियों 2: 20, विश्वास के साथ सम्बन्ध बनाता है: ‘‘मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ, जो परमेश्वर के पुत्र पर/में है . . . ।’’ दूसरे शब्दों में, ‘‘मैं’’ जो मर गया, पुराना विश्वास न करने वाला, विद्रोही ‘‘मैं’’ था और ‘‘मैं’’ जो जीवित हो गया, विश्वास का ‘‘मैं’’ था -‘‘अब जो जीवन मैं जीता हूँ तो परमेश्वर के पुत्र में विश्वास के द्वारा जीता हूँ।’’ और इस सब का आधार है मसीह के साथ संयुक्ति - ‘‘मसीह मुझ में जीवित है।’’ और मैं उसमें जीवित हूँ - उसके साथ आत्मिक संयुक्ति में। ‘उसकी’ मृत्यु मेरी मृत्यु है और ‘उसका’ जीवन मेरी जिन्दगी में जिया जा रहा है।
इसका एक अन्य स्पष्टीकरण कुलुस्सियों 2: 6-7अ रहेगा: ‘‘सो जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ।’’ यहाँ पुनः आप देख सकते हैं कि मसीह में विश्वास, वो मार्ग है जिससे आप मसीह के साथ संयुक्ति का अनुभव करते हैं। आप ‘उसे’ प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करते हैं और उस विश्वास में आप ‘उस’ के साथ संयुक्त हो जाते हैं और ‘‘उसी में’’ चलते और ‘‘उसी में’’ बढ़ते जाते हैं।
अतः जब रोमियों 6: 3-4अ कहता है कि हमने मसीह में और ‘उसकी’ मृत्यु में बपतिस्मा लिया, मैं इसका ये अर्थ लेता हूँ कि बपतिस्मा उस विश्वास को व्यक्त करता है जिस में हम मसीह के साथ संयुक्तता का अनुभव करते हैं। यही संभवतः वो कारण है कि क्यों परमेश्वर ने बपतिस्मा का तरीका बनाया कि एक गाड़े जाने को चित्रित करे। ये उस मृत्यु को प्रदर्शित करता है जो हम तब अनुभव करते हैं जब मसीह के साथ संयुक्त किये जाते हैं। इसी कारण हमें डुबाया जाता है : ये एक प्रतीकात्मक गाड़ा जाना है।
अतः विश्वासीगण, जान लीजिये, कि आप मर गए हैं। पुराना अविश्वास करने वाला, विद्रोही ‘‘मैं’’ मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ा दिया गया है। आपके बपतिस्मा का यही अर्थ था और अर्थ है।
2) बपतिस्मा, मसीह में हमारे जीवन की नवीनता को चित्रित करता है।
पद 4: ‘‘उस मृत्यु का/में बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।’’ बपतिस्मा के जल के नीचे कोई नहीं ठहरता। हम जल के बाहर ऊपर निकल आते हैं। मृत्यु के पश्चात् नया जीवन आता है। जब मैं विश्वास के द्वारा मसीह से संयुक्त किया गया, अविश्वास और विद्रोह का पुराना ‘‘मैं’’ मर गया। किन्तु जिस क्षण पुराना ‘‘मैं’’ मरा, एक नये ‘‘मैं’’ को जीवन दिया गया - एक नया आत्मिक व्यक्ति, मानो जैसे कि, मुरदों में से जिलाया गया था।
इस सच्चाई पर सर्वाधिक निर्णायक टीका है, कुलुस्सियों 2: 12। पौलुस कहता है, ‘‘उसी के साथ बपतिस्मा में गाड़े गए, और उसी में परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास करके, जिस ने उस को मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे।’’ ध्यान दीजिये : हम मसीह के साथ जी उठे, ठीक जैसा कि रोमियों 6: 4 कहता है हम नये जीवन की चाल चलते हैं। और वहाँ परमेश्वर की शक्ति है जिस ने ‘उसे’ मरे हुओं में से जिलाया, ठीक जैसा रोमियों 6: 4 कहता है कि मसीह पिता की महिमा के द्वारा जिलाया गया। और यह परमेश्वर की शक्ति में विश्वास के द्वारा होता है जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया।
अतः रोमियों 6: 4 जो अस्पष्ट छोड़ देता है, उसे कुलुस्सियों 2: 12 स्पष्ट कर देता है - कि बपतिस्मा, यीशु को मरे हुओं में जिलाने में परमेश्वर की शक्ति में हमारे विश्वास को व्यक्त करता है। हम विश्वास करते हैं कि मसीह कब्र में से जीवित हो गया है और आज स्वर्ग में परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठा राज्य कर रहा है, जहाँ से ‘वह’ सामर्थ्य और महिमा में पुनः आयेगा। और परमेश्वर की शक्ति - परमेश्वर की महिमा, जैसा कि पौलुस इसे बुलाता है, में वो विश्वास - ये है कि उस जीवन की नवीनता में हम कैसे हिस्सेदार होते हैं, जो मसीह स्वयँ में रखता है।
वास्तव में, जीवन की नवीनता (या नये जीवन की चाल) , परमेश्वर की महिमा तथा शक्ति में विश्वास का जीवन है। ‘‘मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और अब मैं जीवित न रहा, . . . मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ, जो परमेश्वर के पुत्र पर/में है।’’ नये जीवन की चाल, परमेश्वर की शक्ति में - परमेश्वर की महिमा में - दिन-प्रतिदिन भरोसा रखने का जीवन है।
बपतिस्मा चित्रित करता है कि हमारे साथ क्या हुआ जब हम मसीही बने
अतः आइये हम सार प्रस्तुत करें और एक निष्कर्ष पर आयें। बपतिस्मा चित्रित करता है कि हमारे साथ क्या हुआ जब हम मसीही बने। हमारे साथ ये हुआ : हम मसीह के साथ संयुक्त किये गए। ‘उसकी’ मृत्यु हमारी मृत्यु बन गई। हम ‘उसके’ साथ मर गये। और उसी क्षण में, ‘उसका’ जीवन हमारा जीवन बन गया। अब हम हमारे अन्दर मसीह का जीवन जी रहे हैं। और ये सब विश्वास के द्वारा अनुभव किया जाता है।
एक मसीही होने का यही अर्थ है - हमारा बपतिस्मा क्या चित्रित करता है, उसकी वास्तविकता में जीना : दिन-ब-दिन हम अपने से हटकर परमेश्वर को देखते हैं और कहते हैं, ‘‘आपके पुत्र, मसीह के कारण, मैं आपके पास आता हूँ। ‘उस’ में मैं आपका हूँ। मैं आपके साथ घर में हूँ। आपके साथ स्वीकरण की, ‘वह’ ही मेरी आशा है। मैं उस स्वीकरण को प्रतिदिन नया ग्रहण करता हूँ। मेरे लिए ‘उसकी’ मृत्यु और ‘उस’ में मेरी मृत्यु पर मेरी आशा आधारित है। पिता, ‘उस’ में मेरा जीवन आप में विश्वास का एक जीवन है। ‘उस’ के कारण मैं आपकी शक्ति को मेरे अन्दर और मेरे लिए विश्वास करता हूँ। वही सामर्थ्य और महिमा जो आपने ‘उसे’ मरे हुओं में से जिलाने में उपयोग की, आप मेरी सहायता करने में उपयोग करेंगे । भविष्य के अनुग्रह की उस प्रतिज्ञा में मैं विश्वास करता हूँ, और उस में मैं आशा रखता हूँ। वही है जो मेरे जीवन को नया बनाता है। हे मसीह, मेरा बपतिस्मा क्या चित्रित करता है, उसमें मैं कैसा गौरव करता हूँ ! मेरी मृत्यु, मेरे लिए मरने के लिए और मुझे नया जीवन देने के लिए, आपको धन्यवाद। आमीन ।’’